
स्मैक नशे की बढती संख्या का कारण आसानी से युवाओं को हो रही उपलब्ध
इंजेक्टेबल हिरोईन नशे ने बनाया दो भाईयों को एचआईवी पाॅजिटीव व हैपेटाईटस रोग के पीडित
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। पंचपुरी के युवाओं में स्मैक के नशे की लत की बढती संख्या को लेकर हर कोई हैरान व परेशान है। स्मैक के नशे ने युवाओं को भीतर से खोखला कर उनके भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। जिसको लेकर पुलिस प्रशासन से लेकर गिरफ्रत में आये युवाओं के परिजनों की चिंता बढती जा रही है। नशे की गिरफ्रत में आ चुके युवाओं की संख्या का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजकीय मेला चिकित्सालय में तैनात मनो चिकित्सक डाॅ. राजीव रंजन के पास रोजना नये चार से पांच स्मैक नशे से पीडित मरीज पहुंच रहे है। जिनमें युवाओं ही शामिल है। जिनकी उम्र करीब 15-25 वर्ष के बीच बतायी जा रही है। नशे की गिरफ्रत में आये युवाओं के परिजनों को अपने बच्चों की नशे की लत छुड़वाने के लिए चिकित्सक के आगे गिडगिडाते भी देखा गया है। हाल की में दो सगे भाई भी इंजेक्टेबल हिरोईन के शिकार को भी उपचार के लिए वहां लाया गया। सब से बडा दुखद पहलु तब सामने आया जब पता चला कि दोनों भाई एचआईवी पाॅजिटीव व हैपेटाईटस रोग के पीडित है। चिकित्सक के द्वारा दोनों भाईयों का उपचार भी उनके द्वारा कराया जा रहा है। शहर में युवाओं में बढती स्मैक नशे की लत की बढती संख्या को लेकर राजकीय मेला चिकित्सक में तैनात मनो चिकित्सक डाॅ. राजीव रंजन तिवारी से मुलाकात करते हुए स्मैक सहित अन्य नशों के मरीजों के बारे में जानकारी ली। मनो चिकित्सक डाॅ. राजीव रंजन तिवारी ने बताया कि शहर में पिछले सवा साल से स्मैक नशे से पीडित युवाओं को परिजनों द्वारा उपचार के लिए लाया जा रहा हैं मगर अब इस नशे से पीडित युवाओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। जिसका कारण स्मैक आज शहर के भीतर सुगमता से युवाओं को उपलब्ध् हो रही है। शहर में युवाओं में बढता नशे की लत पुलिस प्रशासन व समाज के लिए एक बडी समास्या है। जिससे सभी को एक साथ मिलकर लड़ना है। स्मैक नशे से पीडित युवाओं को उनके परिजनों द्वारा उनकी नशे की लत को छुड़वाने के लिए लाया जा रहा है। परिजनों की समस्या हैं कि उनके बच्चे स्मैक के आदी हो चुके है और अपने परिजनों की भी नहीं सुन रहे है। उन्होंने बताया कि नशे से पीडित युवाओं को नशे के असर व दुष्परिणों के बारे में विस्तार से समझाया जाता हैं और फिर उनको उपचार शुरू किया जाता है। कई युवाओं की स्थिति तो इतनी जटिल हो चुकी होती हैं कि यदि उनको एक दिन स्मैक न मिले तो आंख, नाक से पानी आना शुरू हो जाता हैं, दस्त, उल्टी, मोस पैशियों में असहनीय दर्द, ठण्ड लगना और पेट दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है। डाॅ. रजीव रंजन ने बताया कि परिजन बच्चे की हालत देखकर घबरा कर समान्य चिकित्सक के पास उपचार के लिए ले जाते है। मगर उनको कोई लाभ नहीं मिलता है। उनके पास अधिकांश स्मैक के आदि युवा ही उपचार के लिए पहुंच रहे है। जिनमें रोजना करीब चार से पांच नये मरीज होते है। अभी हाल में नशे के आदी दो सगे भाईयों को उपचार के लिए लाया गया। जोकि स्मैक का नशा नहीं बल्कि इंजेक्टेबल हिरोईन का नशा करते है। इन भाईयों का सब से बडा दुखद पहलु यह हैं कि इंजेक्टेबल हिरोईन का नशा करने के दौरान ही दोनों एचआईवी पाॅजिटीव औरहैपेटाईटस रोग से भी पीडित हो गये। इस नशे को लेने के लिए हिरोईन को इंजेक्शन के जरिये नशों में पहुंचाया जाता है। जिसकारण इस नशे को करने वाले युवा एक ही सिरिज का इस्तेमाल पूरा गु्रप करता है। जिसकारण ऐसी खतरनाक बिमारी फैल जाती है। चिकित्सक के अनुसार स्मैक के आदी युवाओं ने बताया हैं कि वह दिन में तीन पुडिया स्मैक की इस्तेमाल करते है। स्मैक की एक पुडिया की कीमत बाजार में पांच सौ रूपये है। जिसके हिसाब से रोजना का खर्च उनके अकेले का डेढ हजार आ रहा है। स्मैक बाजार में उनको आसानी से उपलब्ध् हो रही है। स्मैक का इस्तेमाल निम्न व मध्य वर्ग के युवाओं में अधिक हो रहा है। डाॅ. रंजन ने यह भी बताया कि निम्न व मध्य वर्ग के युवा अपने नशे की पूर्ति के लिए छोटे-मोटे अपराध् करने से भी पीछे नहीं हटते हैं और समाज में अपराध् बढने का कारण एक यह भी सामने आ रहा है। उन्होंने समाज के हर तबके के युवाओं को सचेत किया हैं कि किसी भी प्रकार का नशा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए अपने भविष्य व परिवार की खुशहाली के लिए नशे से बचे और नशे की गिरफ्रत में आये युवाओं को भी नशे के दुष्परिणामों की जानकारी देते हुए उनमें जागरूकता फैलाये।