
अन्य कर्मचारी के पहुंचने से ईएमबी में हड़कम्प
7वें वेतनमान न दिए जाने के विरोध् मे उठाना पडा कदम
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। बीएचईएल, ईएमबी के दिव्यांग कर्मचारी निर्मल कुमार पांडेय ईएमबी द्वारा संचालित विभिन्न विद्यालयों के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2016 से वेतनमान न दिए जाने के विरोध में अपनी बेटी के साथ भेल मेनगेट के निकट भूख हड़ताल पर बैठे गये। बताया जा रहा हैं कि हडताल स्थल पर टेंट लगाया गया था, लेकिन भेल प्रशासन द्वारा टेंट को जब्त कर लिया गया। लेकिन निर्मल कुमार पाण्डे विचलित नहीं हुए और उन्होंने बेटी अमिता पाण्डे के साथ बस स्टाॅप पर ही भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं। जिसकी जानकारी लगते ही ईएमबी स्कूलों के सभी कर्मचारी भूख हड़ताल स्थल पहुंचें। जिसको लेकर ईएमबी प्रबंध्न में हड़कंप मच गया। आरोप हैं कि ईएमबी ने हमेशा से ही बीएचईएल कर्मचारियों व टीचर्स के मध्य हमेशा ही सौतेला व्यवहार किया है व टीचर्स का शोषण किया है। न समय पर प्रमोशन, न ही वेतन आयोग, यहाँ तक कि मेडिकल सुविधाओं को लेकर भी पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। इतना ही नहीं तीन साल से एडमिशन बंद कर दिए गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि नौ स्कूलों में से आज मात्रा तीन स्कूल रह गए हैं। इन्हें भी एक दो साल में बंद करने की धमकी दी जा रही हैं। अपनी सारी उम्र विद्यालयों के नाम करने वाले टीचर्स व कर्मचारी उम्र के इस पड़ाव में अब कहाँ जाएंगे। जबकि रिटायरमेंट के पांच, आठ व दस साल रह गए हैं। बीएचईएल ईएमबी प्रबंधन ने हाई कोर्ट तक में लिख कर दिया हुआ है की ईएमबी के स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों को केंद्रीय विद्यालय के समकक्ष वेतन भत्ते एवं अनुमन्य सुविधएं प्रदान की जा रही हैं किंतु ईएमबी मैनेजमेंट समय-समय पर अपनी सुविधानुसार कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभों में कटौती करता रहा है वर्षों से कर्मचारियों के प्रमोशन बंद कर दिए गए हैं, उनको दिए जाने वाला न्यूनतम बोनस भी नहीं दिया जा रहा है, साथ ही ट्रांसपोर्ट एलाउंस के रूप में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को दिए जाने वाला एरियर का भुगतान भी नहीं किया गया। सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद कर्मचारियों को उम्मीद थी कि पूर्व की भांति उन्हें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भुगतान होगा किंतु 2016 से अब तक उनको वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं पिछले 1 साल से सेवानिवृत्त 1 दर्जन से अधिक कर्मचारियों को उनकी भविष्य निधी का पैसा भी नहीं मिला है। जिस कारण किसी के घर में मकान बनाने का काम रुका रहा तो किसी के बच्चों के शादी ब्याह रुके रहे और किसी को अपनी बीमारी की जरूरत के समय भी पैसा नहीं मिल पाया कर्मचारियों की लगातार उपेक्षा और स्कूलों को एक के बाद एक बंद करने के कारण कर्मचारियों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। जिसकी परिणति भूख हड़ताल की सामने आई है।