
स्नान पर्व का दायरा ज्वालापुर तक दिखा, पैदल श्रद्धालुओं का दिखा रेला
हाईवे पर भी जाम का दायरा बढ़ा, रूड़की से नेपाली फार्म तक रहा जाम ही जाम
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। तीर्थनगरी में अभी तक पड़ने वाले स्नान पर्वो पर उमड़ने वाले श्रद्धालुओं का असर केवल बस अड्डे से लेकर भीमगोडा और हाईवे पर यातायात का असर चण्डी चौराहा से लेकर भोपतवाला तक देखा जाता था। लेकिन इस बार सोमवती अमावस्या स्नान पर्व ने स्नान पर्वो की स्थिति को बदल कर इसका दायरा ओर बढा दिया। इस बार स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड कर असर ज्वालापुर से लेकर भोपताला तक देखा गया। जबकि यातायात जाम का असर रूड़की से लेकर नेपाली फार्म तक देखा गया। प्रशासन की ओर से सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड हरिद्वार पहुंचने की उम्मीद तो की थी।
लेकिन भीड रेले के रूप में बदल जाएगी, ऐसा सोचा नहीं था। तभी प्रशासन की ओर से किये गये स्नान पर्व के इंतजाम नाकाफी साबित रहे। सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड से सभी रिकार्ड को तोड दिया है। सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भीड एक दिन पूर्व ही हरिद्वार में देखने को मिल गयी थी। यही स्थिति हाईवे पर यातायात जाम की स्थिति भी बेहद डरवानी वाली थी। रूड़की से लेकर नेपाली फार्म तक यातायात के बढते दबाव के चलते जाम की स्थिति बनी रही। जिसकारण निजी वाहनों से हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। तीर्थनगरी में स्नान के लिए अपने निजी वाहनों से हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को एक तरफ जाम तो दूसरी तरफ तपती गर्मी ने बेहाल कर दिया, जाम में फंसे निजी वाहनों में सवार लोगों के छोटे-छोटे बच्चों व बुजुर्गो की हालत बेहद ही कष्ट दायक थी।
लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं में आस्था के आगे सभी परेशानी कोई मायने नजर नहीं आयी। वह उसी जोश व श्रद्धा के साथ मां गंगा में डूबकी लगाने के लिए लालयित नजर आये। ऐसा ही उत्साह उन श्रद्धालुओं को अन्दर देखा गया, जोकि रोडवेज बसों से स्नान करने के लिए हरिद्वार पहुंचे थे। जिनको रोड़वेज बस चालकों ने यातायात जाम की स्थिति को देखते हुए ज्वालापुर जटवाड़ा पुल के समीप उतार दिया, जहां से पैदल ही हरकी पौड़ी पर गंगा में स्नान की आस लगाये चल पड़े।
जिनमें बच्चे, बुजुर्ग, युवा शामिल थे। जिनमें आस्था व श्रद्धा का आलम यह दिखा कि तपती धूप व गर्मी का परवाह किये बिना ही वहं केवल गंगा में आस्था की डूबकी लगाने के लिए आगे बढते देखे गये। स्थानीय नागारिक भी सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर उमड़ी भीड को एतिहासिक बता रहे है।