
पिछडे वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह दिया जा रहा 14 प्रतिशत आरक्षण
मांगों को लेकर 23 फरवरी को सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर देगें धरना
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। उत्तराखराण्ड सरकार पिछड़े वर्ग के साथ बेइंसाफी कर रही हैं, राज्य सरकार नेे असवैधानिक तरिके से पिछड़े वर्गो को मिलने वाला आरक्षण 27 प्रतिशत के बजाय 14 प्रतिशत दिया जा रहा है। जबकि इंदिरा साहानी बनाम यूनियन गवर्नमेंट 1993 में मुकदमें में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि पिछड़ा वर्गो को शिक्षा संस्थान व नौकरियों में आरक्षण 27 प्रतिशत होगा, आरक्षण जनसंख्या का आधार नहीं माना जाएगा। इस बात की जानकारी पूर्व मंत्री यूपी एवं पिछड़ा उत्तराखण्ड वर्ग कल्याण संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक राम सिंह सैनी ने प्रेस क्लब हरिद्वार में पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि पिछड़े वर्गो के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए उनका सवैधानिक अधिकार मारा जा रहा है। इनता ही नहीं पिछडा वर्ग में संविधान की धारा 340 के विपरित कई क्षेत्रों पिछड़ा घोषित करते हुए उनको भी पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया है, जोकि सीेधे-सीधे पिछड़े वर्ग के आरक्षण में सैध लगाने प्रयास किया गया है। जिसको किसी भी कीमत पर पिछड़ा वर्ग बर्दाश्त नहीं करेगा। यदि पिछड़े क्षेत्रों को आरक्षण देना हैं तो उनका आरक्षण आर्थिक कोर्ट के आरक्षण में शामिल किया जाए। लेकिन पिछडे वर्ग के कोर्ट से इन लोगों के आरक्षण को अलग किया जाए। उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण की आय की सीमा साढे छ लाख से बढा कर दस लाख की जाए। साथ ही जो पिछडे वर्ग के आरक्षण में पद रिक्त हैं उनपर शीघ्र ही नियुक्ति की जाए। पिछडे वर्ग में शामिल जातियों को उनकी रोजगार से सम्बंधित उनको रोजगारों को सुचारू चलाने के लिए आवश्यक सुविधाए उपलब्ध् करायी जाए। पिछडे वर्गो के लिए ठप्प पडी कल्याणकारी योजनाओं को शीघ्र शुरू किया जाए। इसके अलावा अन्य मांगों को भी पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को जागाने व अपनी मांगों को मनमाने के लिए 23 फरवरी को नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही ऐलान किया हैं कि लोकसभा चुनाव में जो भी पार्टी स्थानीय व पिछडे वर्ग के व्यक्ति को टिकट देगी, उसको पिछडा वर्ग के लोग अपना समर्थन देगें। प्रेसवार्ता के दौरान पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार, धर्मपाल सिंह ठेकेदार, पूर्व राज्य मंत्री नईम कुरैशी, विजय सिंह पाल, विजय प्रजापति, खेमचन्द्र प्रजापति, सुभाष सैनी, ललित सैनी, दयानन्द गिरि, महेन्द्र सिंह खटाना आदि मौजूद थे।