♦प्रेम नगर आश्रम में 13 से 16 नवम्बर तक आयोजित हो रही कार्यशाला
♦कार्यशाला में कोई भी व्यक्ति या युवा चाहे महिला ले सकती हैं हिस्सा
♦कार्यशाला में देश-विदेश से 500 से अधिक लोग हिस्सा ले रहे
♦संस्था से जुडने वाले लोगों की गुप्त रखी जाती हैं पहचान
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। देश के भीतर बढती लोगों में शराब की लत ने कई परिवारों को बर्बादी की कगार तक पहुंचा दिया, तो वही युवाओं का भविष्य भी अधंकार मय हो चला है। परिवारों को बचाने और युवाओं का भविष्य सुरक्षित करने के लिए एल्कोहलिक्स एनोनिमस नाम की संस्था लोगों की शराब छुडाने की दिशा में कार्य कर रही है। आप को यह सुनकर ताज्जूब होगा कि इस संस्था के सूत्रधार भी कभी शराब की लत के शिकार थे, आज इस संस्था से जुड कर ना केवल शराब को छोडा हैं बल्कि शराब की ओर बढते युवाओं समेत लोगों के कदमों को रोकने के लिए काम कर रहे है। इस संस्था से जुडने वाले युवाओं व लोगों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
एल्कोहलिक्स एनोनिमस हरिद्वार में प्रेम नगर आश्रम में चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रही है। जिसमें देश-विदेश से शराब की लत शिकार 500 से अधिक लोग कार्यशाला में भाग ले रहे है। जिनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था भी संस्था के द्वारा की जा रही है। संस्था द्वारा किसी भी व्यक्ति से कोई शुल्क नही लिया जा रहा, यह कार्यशाला शराब की लत के शिकार लोगों के लिए निशुल्क आयोजित की जा रही है।
एल्कोहलिक्स एनोनिमस संस्था की क्लास ए ट्रस्टी डॉ. संध्या पंवार ने बताया कि एल्कोहलिक्स एनोनिमस (एए) की शुरुआत हरिद्वार में दिसम्बर 2013 में हुई थी, एल्कोहलिक एनानिमस ऐसे स्त्री पुरूषों की संस्था है जो एक दूसरे से आपस में अपना अनुभव शक्ति व आशा बाटंते हैं, ताकि वे अपनी शराब की सांझी समस्या का हल कर सकें व दूसरे शराबियों की इस बीमारी से छुट्कारा दिलाने मैं सहायता कर सकें। इस की सदस्यता के लिए कोई चंदा या फीस नहीं देनी पडती, यह (एए) के अपने योगदानों के जरिए आत्मनिर्भर है। एए का प्राथमिक उद्देश्य केवल शराबियों की शराब छोड्ने में सहायता करना है।
उन्होंने बताया कि एल्कोहलिक्स एनोनिमस संस्था, जोकि समाज मे लम्बे समय से शराब से मुक्ति के लिये अभियान चला रही है. जिसके अंतर्गत सेंट मैरी स्कूल ज्वालापुर के अतिरिक्त जहां हर रविवार सायं 4 से 5.30 बजे तक मीटिंग होती है राम कृष्ण मिशन हस्पताल मे प्रत्येक बुधवार को सायं 4 से 5 बजे तक मीटिंग हो रहा है। इसके अतिरिक्त सभी अस्पतालों में जागरुकता हेतु बोर्ड लगाये जाने का कार्य शुरु कर दिया गया है। इस अवसर पर दो हेल्पलाइन नम्बर 9012002229 व 9105546541 भी जारी किये गये द्य जिस पर इस संस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
डॉ. पंवार ने बताया कि एए की शुरुआत 1935 में ओहायो मे हुई थी और धीरे-धीरे विश्व के 184 देशों में फैल गई. आज एए की सदस्यता 40 लाख से अधिक है तथा इसकी सभाऐं नियमित रुप से बडे शहरों और कस्बों में होती हैं. भारत में इसकी शुरुआत दिल्ली में 1957 में हुई पर मुम्बई में एए पनपा जिसमें की पूरे भारत वर्ष में अनुमानित आज की तारीख में 45,000 से ज्यादा सदस्य है। वर्ष 2012 में आमिर खान द्वारा निर्मित सत्यमेव जयते के प्रसारण में भी इस संस्था के कार्यों को बताया गया था, ततपश्चात इस संस्था की लोकप्रियता भारत में बहुत बढी।
उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश से एए की हेल्प लाईन पर 5000 तथा पूरे भारत से 7,00,000 से अधिक जानकारी हेतु काल्स आई. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह संस्था कितनी व्यापक है. इस बीमारी (शराबीपन) का जाना हुआ कोई चिकित्सीय ईलाज नहीं है पर अच्छी खबर यह है कि इसकी रोकथाम एए के जरिए प्रभावी तरीके से की जा सकती है. शराबीपन की तुलना अक्सर डाईबीटीज (मधुमेह) से की जाती है। जिस प्रकार सभी मीठा खाने वालों को मधुमेह नहीं होता उसी प्रकार अनुमानित 100 शराब का सेवन करने व्यक्तियों में से 10 से 15 को यह समस्या हो जाती है।
डॉ. संध्या पंवार ने बताया कि एए का अनुभव यह दर्शाता है कि जो सद्स्य नियमित रुप से एए की सभाओं में जाते हैं और उनके सुझाए सिद्धांतो को अपने जीवन में अपनाते हैं. वह आम तौर पर एक-एक दिन कर पहले घातक घूंट से दूरी बनाने में सफल रहते हैं। इस कार्यशाला में कोई भी इच्छुक व्यक्ति सम्मिलित होकर लाभ उठा सकता है।
