♦सीएमओ ने इस जानकारी पर लिया कडा संज्ञान, गठित टीम इस दिशा में भी करेगी जांच
♦जांच में आशा कार्यकत्री की भूमिका सामने आई तो होगी आशा पर निश्चित कार्यवाही
♦आशा कार्यकत्री गर्भवती महिलाओं को केवल सरकारी अस्पताल में ले जाने के लिए हैं नियुक्त
♦आशाओं को मिलता हैं सरकार से मानदेय, शहर में प्रति केस 400 और ग्रामीण आशाओं को 600 रूपये
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में डिलीवरी के बाद महिला की मौत मामले में प्रकाश में आया हैं कि आशा कार्यकत्री द्वारा महिला अस्पताल से गर्भवती महिला को न्यू देवभूमि हॉस्पिटल लेकर पहुंची थी। जिसने महिला परिवार को अश्वस्त किया था कि जहां वह ले जा रही हैं, वहां पर सफलता से डिलीवरी हो जाएगी। गर्भवती महिला के परिजनों ने आशा कार्यकत्री पर भरोसा कर उसके साथ वहां पर पहुंचे थे।
इस बात की जानकारी खुद मृतका महिला के परिजनों ने मीडिया से वार्ता करते हुए दी है। यह जानकारी सामने आने के बाद सीएमओ ने इस बात का कडा संज्ञान लिया है और जांच के लिए गठित की गई चिकित्सकों टीम ने अपनी जांच में इस पहलु को भी अपनी जांच में शामिल किया है। अगर आशा कार्यकत्री की मामले में भूमिका मिलती हैं तो निश्चित ही उस आशा कार्यकत्री पर कार्यवाही होना तय है।
बताते चले कि नया हरिद्वार कॉलोनी स्थित न्यू देवभूमि हॉस्पिटल एवं मेडिकल रिसर्च सेंटर में डिलीवरी के बाद शनिवार की तडके 25 साल की महिला आरती पत्नी अंकित निवासी भोगपुर पथरी हरिद्वार की डिलीवरी के बाद मौत हो जाने पर परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटा था। महिला की मौत से गुस्साएं परिजनों ने अस्पताल के हंगामा करते हुए बाहर धरना दिया था। हॉस्पिटल में महिला की मौत की सूचना पर सीएमओ डॉ. आरके सिंह की ओर से एसीएमओ के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम गठित की गयी थी, जिसने हॉस्पिटल पहुंचकर महिला से सम्बंधित फाईल समेत अन्य दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेकर ओटी को सील कर दिया था।
अब जबकी यह बात सामने आई हैं कि राजकीय महिला चिकित्सालय के चिकित्सकों द्वारा महिला की हालत को देखते हुए उसको हॉयर सेंटर रेफर किया गया था, तो एक आशा कार्यकत्री महिला के परिजनों को बरगला कर कि महिला की सफल डिलीवरी करा देने का अश्वासन दिलाकर खुद उनको लेकर न्यू देवभूमि हॉस्पिटल पहुंची थी। महिला के परिजनों ने आशा कार्यकत्री पर भरोसा कर उसके साथ न्यू देवभूमि हॉस्पिटल पहुंचे थे और आशा कार्यकत्री ने ही चिकित्सकों से डिलीवरी के सम्बंध में बात की थी। इस पूरे मामले की जानकारी खुद मृतका के परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए कही है।
बता दें कि जबकि आशा कार्यकत्री केवल गर्भवती महिला को सरकारी अस्पताल में ही ले सकती है, प्राइवेट हॉस्पिटल में नहीं। सरकारी अस्पताल में गर्भवती महिला को ले जाने के एवज में आशा कार्यकत्री को सरकार से प्रति केस भुगतान होता है। शहरी क्षेत्र की आशा कार्यकत्री को 400 रूपये और ग्रामीण क्षेत्र की कार्यकत्री को 600 रूपये प्रति केस कें हिसाब से मिलते है। सूत्रों के अनुसार लेकिन आशा कार्यकत्री सरकारी अस्पताल से हॉयर सेंटर रेफर होने वाले गर्भवती महिला व मरीजों को बहला फुसला कर मोटा कमीशन के लालच में प्राईवेट हॉस्पिटल में ले जाती है। जिसका खामियाजा मरीजों व उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है।
सीएमओ डॉ. आरके सिंह ने बताया कि जनपद हरिद्वार में आशा कार्यकत्री की संख्या 1730 हैं जबकि बहादराबाद ब्लॉक की अगर बात करें तो 400 से अधिक है। न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में महिला की मौत के मामले में अगर आशा कार्यकत्री की जानकारी सामने आती हैं कि वही महिला के परिजनों को डिलीवरी के लिए न्यू देवभूमि हॉस्पिटल ले गयी थी, तो निश्चित ही उस आशा कार्यकत्री के खिलाफ कार्यवाही तय है। जबकि आशाओं को सरकार की ओर से प्रतिकेस मानदेय दिया जाता हैं अगर हम शहरी क्षेत्र की बात करें तो शहरी आशाओं को 400 रूपये और ग्रामीण आशाओं को 600 रूपये मिलता है।
उन्होंने बताया कि महिला की मौत के मामले में एसीएमओ के नेतत्व में गठित की गयी चिकित्सकों की टीम महिला की मौत के कारणों के साथ-साथ इस बात की भी जांच करेगी कि जब सरकारी महिला अस्पताल से गर्भवती महिला को हॉयर सेंटर रेफर किया गया था तो वह न्यू देवभूमि हॉस्पिटल कैसे पहुंची। जबकि गर्भवती महिला को देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज या फिर ऋषिकेश एम्स हॉस्पिटल जाना था। अगर जांच में गर्भवती महिला को न्यू देवभूमि हॉस्पिटल ले जाने में किसी आशा कार्यकत्री की भूमिका सामने आती तो उसके खिलाफ निश्चित कार्यवाही की जाएगी, इस में कोई सदेंह नहीं है।
