मुकेश वर्मा
हरिद्वार। संत बहुल्य क्षेत्र भोपतवाला हरिद्वार रानी गली स्थित सर्वेश्वर आश्रम में परम पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज की तीसरी पवन पुण्यतिथि के अवसर पर आश्रम में एक विशाल संत समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जूना अखाड़े के पूर्व सचिव देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज एक मिलनसार मृदु भाषी त्याग मूर्ति संत थे, उनका तपोबल आज भी भक्तजनों के बीच दिए गए ज्ञान के रूप में विद्यमान है। व्यवस्थापक माता राजरानी तथा महंत केशवानंद महाराज मिलकर आश्रम को उन्नति के पथ पर ले जा रहे हैं। आश्रम में आने जाने वाले भक्तजनों की गुरुजी के समय की तरह ही निरंतर सेवा चल रही है।
इस अवसर पर स्वामी कल्याण देव महाराज ने कहा कि परम पूज्य स्वामी सर्वेश्वरा नंद महाराज एक ज्ञानमूर्ति विद्वान संत थे। ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे, उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्तजनों का जीवन सफल हो जाता था। महाराज जी के ज्ञान का प्रताप आज भी उनके शिष्य महंत केशवानंद महाराज माता राजरानी में विद्यमान है वे धर्म कर्म सत्संग के माध्यम से भक्तजनों को कल्याण की ओर ले जा रहे हैं तथा गुरु जी के बताए मार्ग पर चलकर आश्रम को निरंतर प्रगति और उन्नति की ओर ले जा रहे हैं।
इस अवसर पर स्वामी कृष्ण देव महाराज ने कहा कि गुरु मिलाते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान इस भवसागर की नैया के गुरु ही तारणहार गुरु के बिना ईश्वर तक पहुंच पाना संभव नहीं, इसलिए गुरुद्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलो गुरु की हर आज्ञा का पालन करो, यही सब आपको कल्याण की ओर ले जाएगा। गुरु के श्रीमुख से निकले हर शब्द का कुछ ना कुछ महत्व होता हैै। इसलिए गुरु जो भी कहे उसे सही मानकर गुरु के श्री चरणों से होते हुए सीधे भगवान श्री हरि के चरणों तक पहुंचे हैं, गुरु ही इस कलयुग में ईश्वर के प्रतिनिधि है। स्वामी सर्वेश्वरानंद जी महाराज ने भी भक्तजनों को कल्याण का मार्ग दिखाते हुए सनातन परंपरा को विश्व भर में फैलने का कार्य किया ऐसी परम महान विभूति की तीसरी पवन पुण्यतिथि के अवसर पर हम उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस अवसर पर श्रीगंगा भक्ति आश्रम के महंत श्री कमलेशानंद सरस्वती ने कहा कि गुरुजनों का सानिध्य बड़ा ही प्रेरणादायक होता है आपका घर द्वार भक्ति के साथ-साथ भौतिक और आर्थिक समृद्धि से संपन्न हो जाता है तथा गुरुद्वारा दिखाए गए मार्ग के माध्यम से भक्तों का जीवन कल्याण की ओर अग्रसर होता है। महंत देवानंद सरस्वती महाराज, स्वामी कल्याण देव महाराज, स्वामी कृष्ण देव महाराज, माता राजरानी आश्रम व्यवस्थापिका, महंत केशवानंद महाराज, स्वामी प्रेमानंद महाराज, महंत बालकानंद महाराज, महंत भरत मुनि महाराज, स्वामी सूर्य देव महाराज, महंत सूरज दास महाराज, महंत कमलेशानंद सरस्वती, महाराज स्वामी पूर्णानंद गिरी महाराज, स्वामी कृष्ण स्वरूप महाराज, महंत भरत मुनि महाराज, महंत सत्यव्रतानंद महाराज सहित अनेको मठ मंदिर आश्रमों से आये महंत, श्रीमहंत तथा भक्तगण मौजूद रहे।