
वायरल एक विडियों ने प्राधिकरण के अधिकारियों की उड़ाई थी नींद
वीडियों चर्चित शख्स का जिसने कई लोगों को बनाया शिकार
आरोपः कुछ अधिकारियों की मदद से शिकायतकर्त्ता फर्श से अर्श तक पहुंचे
शिकायतकर्त्ता को मैनेज करने का दबाब डाले जाने का अधिकारियो पर आरोप
प्राधिकरण में मौजूद मददगारों के खिलाफ भी क्या कार्रवाई होगी?
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। हरिद्वार-रूड़की-विकास प्राधिकरण इन दिनों शहर में सुर्खियों में है। जिसकी वजह शहर में हो रहे निर्माण कार्य स्थल पर कुछ कथित पत्रकारों द्वारा निर्माणों को अवैध बताते हुए कवरेज के नाम पर अवैध वसूली के लिए दबाब बनाने का प्रयास करना बताया जा रहा है। ये वो पत्रकार हैं जोकि करीब एक दशक से अधिक समय से हरिद्वार-रूडकी- विकास प्राधिकरण को अपनी कर्म स्थली बनाये हुए है। एचआरडीए अब इन्ही के खिलाफ अब एक्शन के मूड में नजर आ रही है।
जबकि प्राधिकरण के अधिकारियों की छत्रछाया में ऐसे कुछ कथित पत्रकार फर्श से अर्श तक पहुंचे है। जिनके पास कल तक कुछ नहीं था, लेकिन आज इनके पास घोड़ा-गाड़ी से लेकर ऐसो आराम के सभी साधन मौजूद है। जबकि शहर के लोग ऐसे कथित पत्रकारों की पूर्व की माली हालत से भली भांति परिचित है। आखिर एचआरडीए की परिक्रमा लगाने वाले कथित पत्रकार समेत निर्माण कार्यो की शिकायत करने वाले चंद सालों में कैसे माला माल बन गये, यह सवाल शहर के हर व्यक्ति के जहन में घुम रहा है।
एचआरडीए के अधिकारियों ने अनन-फनन में कुछ पत्रकारों को बुलाकर प्रेसवार्ता कर जनता से ऐेसे लोगों से सावधान रहने की अपील करते हुए सदेंश जारी किया हैं कि यदि निर्माणाधीन स्थल पर कोई प्राधिकरण के नाम पर पहुंचे तो उसका आई कार्ड जरूर देखें। बता दें कि प्राधिकरण की ओर से एक तथाकथित पत्रकार के खिलाफ तो कोतवाली नगर में तहरीर देकर शिकायत की गयी है, जोकि प्राधिकरण के आलाधिकारी के नाम लेकर दबाब बनाने का प्रयास कर रहा था। लेकिन पुलिस ने तहरीर पर तथाकथित पत्रकार के खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज नही किया है।
तीर्थनगरी हरिद्वार में एचआरडीए इन दिनों शहर में चर्चाओं में है। एचआरडीए अधिकारी अब ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नजर आ रही है। जोकि प्राधिकरण के नाम पर निर्माणाधीन स्थल पर पहुंचकर लोगों को परेशान कर रहे है। लेकिन सवाल उठता हैं कि आखिर प्राधिकरण की नींद इतनी देर बाद क्यों टूटी? जबकि निर्माणाधीन निर्माण को अवैध बताते हुए उनकी शिकायत कर निर्माण करने वालों से मोटी रकम ऐंठने वाले करीब एक दशक से अधिक समय से शहर में जुटे है। यदि निर्माणाधीन कार्यो को अवैध बताते हुए शिकायतकर्त्ता के दावों में दम हैं, तो सवाल उठता हैं कि एचआरडीए अधिकारियों द्वारा ऐसे निर्माणाधीन कार्यो पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं करते ?। क्यो शिकायकर्त्ताओं को वसूली के लिए छोड़ दिया जाता है?
शहर में सुर्खियों में छाये पूरे मामले में एचआरडीए के अधिकारी भी सवालों के घेरे में है। आरोप हैं कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारी ही निर्माणकर्त्ता को उनके निर्माण की शिकायत करने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी देते हुए उनको मैनेज करने वरना कार्रवाई करने के लिए मजबूर होने की अपनी मजबूरी जाहिर करते चले आ रहे है। प्राधिकरण के अधिकारियों की जानकारी के बाद निर्माणकर्त्ता की मजबूरी हो जाती हैं कि वह शिकायतकर्त्ता को मैनेज करने में जुट जाता है। आरोप हैं कि एचआरडीए के कुछ अधिकारियों की ही छत्रछाया में ऐसे लोग अब शहर में ब्लेकमेल के रूप में चर्चित हो चुके है। निर्माणकर्त्ता अपने निर्माण कार्यो को बदस्तूर जारी रखने के एवज में शिकायतकर्त्ता को मैनेज करने के लिए मोटी रकम तक देने के लिए मजबूर हो जाते है।
आरोप हैं कि प्राधिकरण की परिक्रमा करने वालों में कुछ कथित पत्रकारों के साथ अन्य लोग भी शामिल हैं। जिनकी रोजी रोटी भी प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही है। शहर में सुर्खियों में छाया मामला हाल ही में शहर के बीचों बीच एक निर्माणाधीन कार्य स्थल पर एक तथाकथित पत्रकार ने मौके पर पहुंचकर प्राधिकरण के आलाधिकारी का नाम लेकर निर्माणकर्त्ता को अपने दबाब में लेने का प्रयास किया। लेकिन निर्माणकर्त्ता ने तथाकथित पत्रकार की वीडियों बनाकर एचआरडीए के आलाधिकारी से पूरे मामले की शिकायत की थी। इतना ही नहीं वीडियों सोशल मीडिया में भी वायरल किया गया। जिसके बाद शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
चूंकि मामला एचआरडीए के आलाधिकारी के नाम के नाम निर्माणकर्त्ता को दबाब में लेने का था। जिसके बाद प्राधिकरण आलाधिकारी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए प्राधिकरण की ओर से तथाकथित पत्रकार के खिलाफ कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी गयी थी। लेकिन प्राधिकरण की ओर से दी गयी तहरीर पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। कोतवाली नगर एसएसआई रमेश सैनी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
चूंकि मामला प्राधिकरण के आलाधिकारी के नाम से जुड़ा होने के कारण प्राधिकरण सचिव की ओर से अनन-फनन में कुछ पत्रकारों को बुलाकर प्रेसवार्ता कर, शहर की जनता से ऐेसे लोगों से सावधान रहने की अपील करते हुए सदेंश जारी किया हैं कि यदि निर्माणाधीन स्थल पर कोई प्राधिकरण के नाम पर पहुंचे तो उसका आई कार्ड जरूर देखें। यदि कोई व्यक्ति प्राधिकरण के अधिकारी के नाम पर उनपर अनुचित दबाब बनाने का प्रयास करें तो उसकी शिकायत प्राधिकरण से करें। लेकिन सवाल उठता हैं कि प्राधिकरण ऐसे लोगों के खिलाफ इतनी देर से सख्त एक्शन के मूड में क्यों आया?।
आरोप हैं कि प्राधिकरण की परिक्रमा लगाने वाले कथित पत्रकार व अन्य लोग आज लखपति हैं जिनके पास पहले कुछ नहीं था। लेकिन आज उनके पास घोड़ा-गाडी और ऐसो आराम के सब साधन है। ऐसे लोग केवल शहर भर में घर से निकलते ही निर्माण कार्यो को तलाशते देखे जा सकते हैं। जिसके बाद प्राधिकरण से निर्माण कार्यो को अवैध बातते हुए शिकायत करते हुए दबाब बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। आरोप हैं कि उनके इस काम में प्राधिकरण के कुछ अधिकारी मदद करते आ रहे है। क्या ऐसे लोगों की मदद करने वाले प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कोई कार्रवाही होगी? या फिर प्राधिकरण की यह कार्रवाई केवल मौजूदा वक्त में पैदा हुए हालत के शांत होते ही सब पूर्व की भांति चलता रहेगा।