
ब्लड बैंक हरिद्वार में रोजना 4-5 प्लेटलेट्स डोनर पहुंच रहे
प्लेटलेट्स एफेरेसिस प्रक्रिया से पूर्व डोनर की हो रही पूरी जांच
स्वास्थ्य व्यक्ति के शरीर से 50-60 हजार प्लेटलेट्स ही ली जा रही
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जनपद में डेंगू की बढते प्रकोप को देखते हुए मरीजों में गिरती प्लेटलेट्स को देखते हुए लोगों में डर का माहौल है। शासन व प्रशासन समेत स्वास्थ्य विभाग डेंगू की रफ्तार पर काबू पाने तथा डेंगू के मरीजों को समुचित उपचार मिले, इसके भरपूर प्रयास किये जा रहे है। डेंगू के केस में मरीजों में कम होती प्लेटलेट्स को लेकर उसके परिजनों को काफी परेशान होता देखा जा रहा है। डेंगू के बढते मामले सामने आने पर मरीजों की जान बचाने के लिए प्लेटलेट्स डोनर भी लगातार सामने आ रहे है।

ब्लड बैंक हरिद्वार की अगर बात करें तो वहां पर रोजना एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) के माध्यम से 4-5 प्लेटलेट्स डोनर पहुंच रहे है। डेंगू के बढते केस मिलने पर मरीजों में प्लेटलेट्स की कमी को देखते हुए एसडीपी प्लेटलेट्स की अधिक मांग हो रही है। पैथोलॉजिस्टों के अनुसार एसडीपी आरडीपी (रेंडम डोनर प्लेटलेट्स)की तुलना में 5-6 यूनिट अधिक प्रभावशाली होती है। इसलिए लोगों में एसडीपी की अधिक मांग है।
पैथोलॉजिस्ट डॉ. रवीन्द्र चौहान और डॉ. सचिन गुप्ता ने बताया कि जनपद हरिद्वार में बढते डेंगू के बढती केस को देखते हुए मरीजों में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। डेंगू के मरीजो में प्लेटलेट्स की कमी को पूरी करने के लिए जम्मो पैक यानी एसडीपी की मांग बढ रही है। जिसको देखते हुए मरीजों की जान बचाने के लिए डोनर भी सामने आ रहे है। ब्लड बैक हरिद्वार में एसडीपी के लिए पहुंचने वाले डोनरों से प्लेटलेट्स एफेरेसिस प्रक्रिया के जरिये पूरी जांच के बाद उनसे प्लेटलेट्स लेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इस प्रक्रिया के दौरान डोनर को कई जांच से होकर गुजरना पड़ता है। डोनर के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या के आधार पर ही उसके शरीर से प्लेटलेट्स ली जाती है। इस प्रक्रिया में करीब एक घंटे का समय लग रहा है।
उन्होने बताया कि सामान्य तौर पर एक स्वास्थ्य व्यक्ति के शरीर में साढे तीन से चार लाख तक प्लेटलेट्स होती है। जिसके आधार पर उसके शरीर से प्लेटलेट्स एफेरेसिस प्रक्रिया के तहत 50-60 हजार ही प्लेटलेट्स ली जाती है। इस प्रक्रिया के लिए आधुनिक प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जोकि डोनर के शरीर से खून और प्लेटलेट्स को अलग करते हुए अपना काम करती है। प्लेटलेट्स डोनर के शरीर से ब्लड से प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन प्लेटलेट्स लेकर ब्लड को डोनर के शरीर पर चढाती रहती है। डेंग के बढते केस में एसडीपी की अधिक डिमांड इसलिए भी हैं क्योंकि एसडीपी आरडीपी से की तुलना में 5-6 यूनिट अधिक प्रभावशाली होती है। ब्लड बैंक में अगस्त माह में एसडीपी के जरिये केवल 05 लोग ही सामने आये थे। लेकिन सितम्बर माह में बढते डेंगू के केस को देखते हुए प्लेटलेट्स डोनर भी अधिक समाने आये है। सितम्बर माह में अब तक 22 डोनर एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट्स ब्लड बैंक पहुंचे है।
उन्होने बताया कि भले ही डेंगू के केस जनपद में बढे हैं, लेकिन लोगों की जान बचाने वाले डोनरों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। यहां पर बात केवल प्लेटलेट्स डोनेट की ही नहीं बल्कि ब्लड डोनर करने वाले समाजिक संगठनों के साथ-साथ व्यक्तिगत डोनर भी ब्लड बैंक पहंुंचकर अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे है। जहां पर शासन-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहा है। वहीं लोगों में भी ब्लड व प्लेटलेट्स के जरूरतमंदों के प्रति अपनी समाजिक जिम्मेदारियों के लिए जागरूकता बढ़ी है। देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी बनती हैं कि हम सब को मिलकर जरूरतमदों लोगों की मदद के लिए आगे आकर उनके जीवन को बचाने में अपने जीवन को सार्थक बनाये, मनाव सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं।