
वार्ता को छोड़ जनप्रतिनिधि हंगामा करते हुए कार्यालय से निकले
निर्देलीय विधायक के साथ बैठककर कार्रवाई का लगाया आरोप
जनप्रतिनिधियों ने लगाया डीएम हरिद्वार पर वादा खिलाफी का आरोप
डीएमः जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रचारित की जा रहे दलील व आरोप गलत
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के नाम पर धर्मस्थल हटाने को लेकर जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पांडेय से मिलने पहुंचे कांग्रेस विधायक व नेता वार्ता के दौरान भड़क गये। कांग्रेसी नेताओं का आरोप हैं कि जिलाधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधियों को मिलने के लिए सोमवार का समय दिया था और भरोसा दिलाया था कि धर्मस्थल पर मंगलवार से पूर्व कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन प्रशासन ने डीएम द्वारा दिये गये समय से पूर्व ही आर्यनगर स्थित एक धर्मस्थल पर कार्रवाई कर दी। जिसको लेकर डीएम द्वारा जनप्रतिनिधियों को कोई संतोषजनक जबाब नहीं दे सके। जिसको लेकर कांग्रेसी विधायकों व नेताओं भड़क गये और डीएम की वार्ता को बीच में छोड़ हंगामा करते हुए चल दिये। एसडीएम पूरण सिंह राणा ने नाराज जनप्रतिनिधियों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन उनको भी उनके गुस्से का सामना करना पड़ा। कांग्रेसी विधायकों ने एक निर्देलीय विधायक व भाजपा के इशारे पर कार्रवाई का आरोप मढा है।

बताते चले कि प्रशासन द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को लेकर धर्म स्थल पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेसियों ने जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से मिलने का समय मांगा गया था। जिसपर जिलाधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधियों को सोमवार को मिलने का समय दिया गया था। निर्धारित समय पर कांग्रेसी विधायक रवि बहादुर, अनुपमा रावत, फुरकान अहमद, ममता राकेश, वीरेन्द्र जाति व कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी, पूर्व दर्जाधारी नईम कुरैशी, मकबूल कुरैशी, रफी खान, शहजाद और आरिफ कुरैशी आदि कांग्रेसी नेता पहुंचे। जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से सवाल किया कि जब आप के द्वारा मंगलवार तक कार्रवाई रोकने का भरोसा जनप्रतिनिधियांे को दिया गया था, तो अचानक प्रशासन ने दिये गये समय को दरकिनार कर धर्मस्थल पर बुलडोजर की कार्रवाई करना कितना उचित है।
बताया जा रहा हैं कि जिलाधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधियों को समझाने का प्रयास करते हुए तर्क दिये गये। लेकिन कांग्रेसी ने जिलाधिकारी के जबाब से संतुष्ट नहीं हुए और बीच में ही जिलाधिकारी की वार्ता को छोड़ कर हंगामा करते हुए चल दिये। बैठक में मौजूद एसडीएम पूरण सिंह राणा ने जनप्रतिनिधियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन उनको भी जनप्रतिनिधियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।

कांग्रेसी ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने आरोप लगाया कि जिलाधिकारी से मिलने के लिए कांग्रेस के पांच विधायकों ने समय मांगा गया। लेकिन जिलाधिकारी ने छुट्टी पर होने की बात कहते हुए मिलने से इंकार कर दिया और सोमवार को मिलने का समय दिया था। लेकिन एक निर्देलीय विधायक उमेश शर्मा को उसी दिन जिलाधिकारी ने मिलने का समय दिया और दोनों के बीच क्या वार्ता हुई। जिसके बाद प्रशासन ने आर्यनगर स्थित मजार पर अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई कर दी। आरोप हैं कि जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने मंगलवार तक कार्रवाई ना करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन प्रशासन ने अनन-फनन आर्यनगर स्थित मजार पर अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चला दिया।
वहीं जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने बताया कि जनप्रतिनिधियों ने उनसे मिलने का समय मांगा गया था। जिनको मिलने के लिए बुलाया गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों के साथ कुछ लोग भी आ गये, जिनके साथ वार्ता की गयी। जिन्होंने धर्मस्थल प्रकरण को उठाते हुए प्रचारित किया जा रहा हैं कि प्रशासन की ओर मंगलवार तक कार्रवाई नहीं करने की, वह सही नहीं है। किसी को कोई अश्वासन कार्रवाई रोकने का नहीं दिया गया था। प्रशासन विशेष परिस्थितियों को देखकर कार्रवाई करती है। आर्यनगर की धर्मस्थल की लेकर अलग-अलग कई प्रतिनिधियों ने उनसे मिलकर मुलाकात कर चुके है। जिनमें एक प्रतिनिधि मण्डल उक्त धर्मस्थल को समान के साथ हटाने की बात कही थी। सुर्प्रीम कोर्ट वर्ष 2018 का सविता कुमार का स्पष्ट आदेश हैं कि सार्वजनिक मार्ग पर कोई ऐसी चीजे पाई जाती हैं तो उसको कोई नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन प्रशासन ने आर्यनगर धर्मस्थल मामले में एक सप्ताह का समय दिया गया था।