
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने छोड़ा सार्वजनिक जीवन
शेष जीवन धार्मिक कार्यों में लगाने का किया ऐलान
लीना बनौधा
हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के देवबंद से वर्ष 2012 से शुरू हुआ इस्लामिक जिहाद के विरूद्ध धर्म संसद का सिलसिला आज पूरी तरह से समाप्त हो गया। इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध सम्पूर्ण विश्व की सबसे मजबूत आवाजों में से एक महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बुरी तरह से पराजित और अपमानित होकर मैदान को छोड़ दिया।
हरिद्वार जेल से गुरूवार को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अपनी और उनकी दुर्गति से क्षुब्ध् महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने धर्म संसद और हर तरह के सामाजिक जीवन को छोड़कर पूरी तरह से धर्मिक जीवन जीने का संकल्प लिया। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज, जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के सम्मान के लिए खुद भी एक महीने से ज्यादा जेल रहकर आए और उन्होंने स्वामी अमृतानंद और अपने साथियों के साथ मिलकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की जमानत के लिए चार महीने से ज्यादा कानूनी लड़ाई लड़ी।
इस पूरी लड़ाई में हिंदू समाज की जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी जैसे योद्धा के प्रति उदासीनता से खिन्न होकर उन्होंने अपने बचे हुए जीवन को मां और महादेव के महायज्ञ और योगेश्वर श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवद् गीता को समर्पित करने का संकल्प लिया। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज स्वामी अमृतानंद, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज व अपने साथियों के साथ हरिद्वार जेल पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का स्वागत करने के लिए गए।
वहां उन्होंने सम्मान व स्वाभिमान की इस लड़ाई में असफल रहने के लिए जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से क्षमा प्रार्थना की और अपने शिष्यों और साथियों से कहा की अब वो अपना बचा हुआ जीवन केवल नवयुवकों को श्रीमद्भगवद् गीता पढ़ाने और धार्मिक कार्यों में लगायेगे।