कांग्रेस की जीत में बन सकती हैं गुटबाजी रोडा
दिग्गज नेता भले ही गुटबाजी से कर रहे इंकार, सच्चाई सबके सामने
दो दशकों से की जा रही निष्ठावान व कर्मठ कार्यकत्र्ताओं की अनदेखी
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। आगामी विधानसभा चुनाव-2022 में कांग्रेस पार्टी भले ही सत्ता पाने के दावे कर रही है। लेकिन सच्चाई यह भी हैं कि अभी भी कांग्रेस के दिग्गज नेता एक मंच पर आते नजर नहीं आ रहे है। अगर हम यहां पर जनपद हरिद्वार की अगर बात करे तो कांग्रेस कई गुटों में बंटी देखी जा सकती है। भले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता गुटों में बंटे शब्द का खण्डन करते नहीं थक रहे, लेकिन सच्चाई यह भी हैं कि नेताओं की आपसी वर्चस्व की लड़ाई की खिंचातान कही न कही कांग्रेस के मनसूबों पर पानी फेर सकती है।
कांग्रेस पार्टी के लिए सत्ता में आने का एक बहुत सुनहरा अवसर है। क्यों की आम जनता मंहगाई व बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर भाजपा से खिन्न देखी जा रही है। राजनीतिज्ञ जानकारों की माने तो जनता का मूड इस बार भाजपा के पक्ष में नजर नहीं आ रहा है। अगर ऐसे में कांग्रेस के नेता जनता की मनोस्थिति को पढ कर उसका लाभ नहीं उठा पाये तो कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सकती है। लेकिन इसी तरह गुटबाजी हावी रही तो आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी के लिए सत्ता में आना कितना मुश्किल होगा। और इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि जिसका खामियाजा इस चुनाव में भी कांग्रेस का चुकाना पड़ सकता है।
वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अस्ते—अस्ते अपने कदम उत्तराखण्ड में रखते हुए अपनी पैठ जमाने में कामयाबी हासिल कर ली है। लेकिन इस बात को कांग्रेस हो या फिर भाजपा के दिग्गज नेता इस सच्चाई को हजम नहीं कर पा रहे है। अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के समर्थकों ने तो आप के कार्यकत्र्ताओं के साथ पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान क्या-क्या हथकडे अपना का उनको डराने के लिए अपने राजनीति हथकडे इस्तेमाल किये। यह बात किसी से छिपी नहीं है। लेकिन हम यहां केवल कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान में दिख रही गुटबाजी की बात करेगें।
जनपद हरिद्वार में गुटों में बंटी कांग्रेस पार्टी के नेताओं की अंदरूनी आपसी खिंचातान सापफ देखी जा रही है। जिसको लेकर पार्टी का कार्यकत्र्ता भी हताश व निराश देखा जा रहा है। दो दशकों से देखा जा रहा हैं कि हरिद्वार के कर्मठ-निष्ठावान-अस्थावान और पार्टी के प्रति पूर्ण सर्मपित कार्यकत्र्ता को पार्टी में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौपी जा रही।
राजनीतिज्ञ जानकारों की अगर बात करें तो उनका कहना हैं कि कुछ एसी कार्यालयों में बैठने वाले कुछ नेता जिनका जनता से सीधा कोई साहुकार नहीं होता, वह केवल दिल्ली व देहरादून में बैठे अपने दिग्गज राजनीति आकाओं की मेहरबानी से सत्ता आने पर मन माफिक पार्टी में पद या फिर सरकार में कोई हौदा पाने में सफल हो जाते है। राजनीतिज्ञ जानकारों का तो यहां तक कहना हैं कि कांग्रेस पार्टी में अब जमीन से जुडे कार्यकत्र्ता की कोई वखत नहीं रही है। यही कारण हैं कि पार्टी में अपनी घोर उपेक्षा के चलते जमीन से जुडे नेता व कार्यकत्र्ता कांग्रेस पार्टी से दूरी बनाते जा रहे है।
आगामी विधनसभा चुनाव-2022 में कांग्रेस पार्टी भले ही सत्ता में आने के दावे कर रही हैं लेकिन सच्चाई शहर की जनता के सामने भी है। अगर कांग्रेस को भाजपा को सीधे टक्कर देना हैं तो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को यह भी समझ लेना चाहिए कि पार्टी में गुटबाजी को विराम देते हुए एक जुटता के साथ किसी भी मतभेद के सभी को साथ लेकर चुनाव लड़ना होगा, तभी कांग्रेस पार्टी विधनसभा चुनाव-2022 में जीत के दावों के साथ आगे बढ सकती है।
