
लीना बनौधा
हरिद्वार। ज्योतिषाचार्य पं.विजय कुमार जोशी ने बताया कि भैरव का स्वरूप भगवान शिव का रुद्र स्वरूप है। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी व्रत किया जाता है। लेकिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव का अवतरण दिवस मनाया जाता है, इस दिन वर्ष भर में किए पापों का भैरव जी के दर्शन करने मात्र से कल्याण हो जाता है।
शनिवार को अष्टमी तिथि का पड़ना अत्यंत योग प्रद और तंत्रोकत भी है।
उन्होंने बताया कि भैरव की आठ परिक्रमा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है कलयुग में काली भैरव की साधना अत्यंत कल्याणकारी होती है थोड़ी सी साधना मात्र से कायिक, वाचिक, मानसिक व जाने अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है, आज शहर के काल भैरव मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किये जा रहे है। हरिद्वार में भी भैरव मन्दिरों को अष्टमी की पूर्व संध्या से सजाया सवारा गया था कनखल भैरव मंदिर में प्रति वर्ष विशेष धार्मिक आयोजन किए जाते है। भैरव मन्दिरों में सुबह से ही पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं को जमावडा लगा हुआ है।
बाधाओं का होता है नाश : मान्यता है कि इस दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करने से तंत्र, मंत्र, भूत, प्रेत बाधा का नाश होता है। काल भैरव जन्मोत्सव के दिन विधि पूर्वक पूजा, व्रत करने से सारी बाधाओं का नाश होता है। इस दिन पूजन में काल भैरव चालीसा पाठ और उनके वाहन कुत्ते को भोजन जरूर करवाना चाहिए।
काल बनकर किया था तांडव : ज्योतिषाचार्य पंडित विजय कुमार जोशी ने बताया कि जब भगवान शंकर का अपमान हुआ था, तब सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर देह का दहन कर लिया था। इससे कुपित भगवान ने भैरव को यज्ञ ध्वंस के लिए भेजा था। साक्षात काल बनकर भैरव ने तांडव किया था। जानकारों के अनुसार काल भैरव की महत्ता इससे ही समझी जा सकती है कि जहां-जहां ज्योर्तिलिंग और शक्तिपीठ हैं, वहां-वहां काल भैरव को स्थान मिला है। वैष्णो देवी, उज्जैन के महाकालेश्वर, विश्वनाथ मंदिर आदि में काल भैरव मौजूद हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित विजय कुमार जोशी
मोबाइल—9837319992