महासभा की बैठक में देवस्थानम बोर्ड वापस न होने पर सरकार बदलने का निर्णय
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने केन्द्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि जब केन्द्र में मोेदी की सरकार बनी हैं तभी से देश के भीतर हिन्दुओं के मन्दिरों का अधिग्रहण और तीर्थ पुरोहितों पर अत्याचार शुरू हुआ है। उत्तराखण्ड के भीतर भी भाजपा की सरकार ने देवस्थानम बोर्ड गठन किया गया। जिसके विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड को समाप्त करने के लिए विरोध् कर रहे है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की बात तो करते हैं, लेकिन धरातल पर कोई कार्यवाही नहीं करते। जिसको लेकर तीर्थ पुरोहित समाज आहत है।
श्री पाठक शुक्रवार को भूपतवाला स्थित श्रीराधाकृष्ण धाम आश्रम में राष्ट्रीय स्तर पर तीर्थपुरोहित महासभा के पदाधिकारियों की एक दिवसीय बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि जो हमारा नहीं हम उसके नहीं। यदि भाजपा सरकार ने तीर्थस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया तो आगामी विधनसभा चुनाव में भाजपा को तीर्थ पुरोहित सबक सिखायेगा। जो तीर्थ पुरोहितों के हित की बात करेगा, तीर्थ पुरोहित भी उसकी बात करेगा। जो सरकार देवस्थानम बोर्ड को वापस लेगी, हम भी उसके साथ है।
उन्होंने कहा कि देश के तीर्थ पुरोहितों ने भाजपा की सरकार बनाने के लिए अहम योगदान दिया। लेकिन तीर्थ पुरोहितों को उसके बदले में क्या मिला? केवल उत्पीड़न। सरकार ने कभी मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारों का अधिग्रहण नहीं किया। हिन्दुत्व की बात करने वाली भाजपा की सरकार हिन्दुओं के ही मन्दिरों को निशाना बना रही है। जिसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हरिद्वार देवभूमि में तीर्थ पुरोहितों की हुई बैठक में निर्णय लिया गया हैं कि भाजपा सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को वापस नहीं लिया तो आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को बदलेगें। उन्होंने आरोप लगाया कि बनारस में भी तीर्थाटन व विकास के नाम पर हिन्दुओं के शिव मन्दिरों को तोडा जा रहा है। जिन ब्रहा्मणों ने देश व अन्य प्रदेशों में भाजपा को सत्ता में लेकर आयी, आज वहीं उनका उत्पीडन करने पर तूली है। अब तीर्थपुरोहितों ने ठान लिया हैं कि अब उत्पीडन बर्दाश्त नहीं होगा।
चारधाम हक हकूम धारी पंचायत समिति के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने के सम्बंध् में मुख्यमंत्रियों से कई बार वार्ता की गयी। जिन्होंने देवस्थानम बोर्ड वापस लेने की भरोसा तो दिया, लेकिन उस पर अमल नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के कुछ मंत्रीगण जोकि उनके दाये बाये धुमते रहते हैं वह नहीं चाहते कि देवस्थानम बोर्ड वापस हो। जबकि प्रदेश के मंत्री व विधायक देवस्थानम बोर्ड को वापस लेने के पक्षधर है। उन्होंने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहा हैं कि वह पार्टी से बंधे है, इसलिए खुलकर सामने नहीं आ सकते।
प्रेसवार्ता के दौरान राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ, उपाध्यक्ष रामकृष्ण तिवारी, उपाध्यक्ष डाॅ. राजेश भारद्वाज, हरीश, उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिखौला, श्रीगंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा, अमर, सतीश शुक्ला, प्रवक्ता अमित बैध्, सहायक प्रवक्ता अविक्षित रमन आदि मौजूद रहे।
