
एसएसआई की भूमिका पर उठे सवाल, दरोगा की जांच दरोगा को सौपी
पत्रकारों ने एक तरफा कार्यवाही पर जताई हैरानी, मुख्यमंत्री, डीजीपी से शिकायत
वेदप्रकाश चौहान
हरिद्वार। कोतवाली नगर एसएसआई द्वारा वरिष्ठ पत्रकार मामले में मुख्यमंत्री पोर्टल द्वारा जानकारी मांगे जाने पर एक तरफा सीपीयू दरोगा का पक्ष लेते हुए पीडित पत्रकार को ही कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया है। वहीं मामले की जांच एक दरोगा को सौपे जाने की जानकारी पोर्टल को दी गयी है। जबकि प्राकृतिक न्याय के सिंद्धात के आधार पर कानून बनाये जाते हैं ऐसे में यदि कोई दरोगा वादी हैं तो मामले की जांच निरीक्षक को सौपी जानी चाहिए थी। लेकिन यहां ऐसा होता नजर नहीं आ रहा हैं। पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार द्वारा दी गयी सीपीयू दरोगा के खिलाफ तहरीर को पुलिस ने ठंडे बस्ते में डालकर विभागीय अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसको लेकर पत्रकारों में भारी रोष व्याप्त है।
बताते चले कि 23 मई को वरिष्ठ पत्रकार वेेदप्रकाश चौहान रेलवे रोड स्थित अपने कार्यालय पर बैठे थे, तभी सीपीयू दरोगा दिनेश पंवार अपने वाहन चालक सहित तीन सिपाहियों के साथ वहां पहुंचा। आरोप हैं कि दरोगा ने पत्रकार व स्टाॅफ के साथ अभद्रता करते हुए धमकाया कि उसके खिलाफ सूचना अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना वापस ले ले। वरना उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवा कर जेल भिजवा दूंगा। जबकि 07 मई को वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रकाश चौेहान द्वारा सीपीयू दरोगा की सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी गयी थी। वरिष्ठ पत्रकार ने मामले की शिकायत कोतवाली नगर सहित उच्चाधिकारी से की गयी थी। लेकिन सीपीयू दरोगा दिनेश पंवार अपनी धमकी के तहत पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने में कामयाब रहा।
लेकिन वरिष्ठ पत्रकार की तहरीर को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस सम्बंध् में प्रेस क्लब हरिद्वार का एक प्रतिनिधि मण्डल ने एसएसपी से मिलकर मामले की जानकारी देते हुए घटना पर अपनी नाराजी जतायी थी। जिसपर एसएसपी ने निष्पक्ष जांच के आदेश दिये थे। इसी दौरान पीडित पत्रकार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी मामले की शिकायत की। पोर्टल को कोतवाली नगर एसएसआई नंद किशोर ग्वाडी ने पोर्टल को अपने विभागीय दरोगा का पक्ष लेते हुए पीडित पत्रकार को ही कटघरे में खडा करने का प्रयास किया। साथ ही मामले की जांच एक दरोगा पवन डिमरी को सौपे जाने की जानकारी दी गयी है। जिसको लेकर पत्रकारों में कोतवाली नगर पुलिस की एक पक्षीय कार्यवाही को लेकर रोष व्याप्त है।
जानकारों का कहना हैं कि प्राकृतिक के न्याय के सिंद्धात के आधार पर कानून बनाये जाते हैं। अगर किसी मामले में वादी दरोगा हैं तो जांच निरीक्षक स्तर के अधिकारी को सौपी जानी चाहिए थी। कोतवाली नगर पुलिस की इस मंशा ने स्पष्ट कर दिया हैं कि वह वरिष्ठ पत्रकार मामले में कितनी ईमानदारी व निष्पक्षता के साथ जांच करते हुए पीडित को क्या न्याय दिला पायेगी। जिसको लेकर पत्रकारों ने कोतवाली नगर की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। और पूरे मामले की जांच किसी एजेंसी कराने की मांग की है। वहीं पीडित पत्रकार ने भी मुख्यमंत्री, डीजीपी सहित मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच से असंतुष्टता जाहिर करते हुए जांच किसी एजेंसी व इंटेलीजेंस से कराने की मांग की है।